संगीत

91 Views

संगीत

उदास मन जब कभी,

उदासियों में और घिरता जाए ,

तब ज़िव्हा पर नई धुने ,

अपने आप ही बुनता जाए |

फिर जब खुशियाँ मिलें ,

तब उनके नशे में घुलता जाए ,

ये ज़िव्हा ही नहीं हर अंग ,

नई सरगमें और चुनता जाए |

संगीत भाषा अंतर्मन की ,

जो हर मनोदशा के घाव भरती ,

कभी भक्ति कभी प्रेम रस को ,

धीरे – धीरे उजागर करती |

संगीत ही तो जीवन ,

इसके बिना विचलित मन ,

हर उम्र में ये भाता ,

जाते – जाते भी प्राणी गुनगुनाता |

संगीत साधना है …..

साधक की अराधना है ,

संगीत से बना ये तन ,

संगीत के लिए सदा अर्पण ||

Name and details
Sukriti Daksh
Writer

How useful was this post?

Click on a star to rate it!

Average rating 4.3 / 5. Vote count: 3

No votes so far! Be the first to rate this post.

Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments
0
Would love your thoughts, please comment.x
()
x