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संगीत
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उदास मन जब कभी,
उदासियों में और घिरता जाए ,
तब ज़िव्हा पर नई धुने ,
अपने आप ही बुनता जाए |
फिर जब खुशियाँ मिलें ,
तब उनके नशे में घुलता जाए ,
ये ज़िव्हा ही नहीं हर अंग ,
नई सरगमें और चुनता जाए |
संगीत भाषा अंतर्मन की ,
जो हर मनोदशा के घाव भरती ,
कभी भक्ति कभी प्रेम रस को ,
धीरे – धीरे उजागर करती |
संगीत ही तो जीवन ,
इसके बिना विचलित मन ,
हर उम्र में ये भाता ,
जाते – जाते भी प्राणी गुनगुनाता |
संगीत साधना है …..
साधक की अराधना है ,
संगीत से बना ये तन ,
संगीत के लिए सदा अर्पण ||
Name and details
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Sukriti Daksh
Writer
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